हिंदी व्याकरण - क्रिया

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Lecture #6

क्रिया
क्रिया के भेद

हिंदी व्याकरण

अध्याय 6

क्रिया


१. क्रिया

 

परिभाषा-

          जिस शब्द से किसी काम का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं, जैसे-खाना, पीना, उठना, बैठना, होना आदिधातु-जिस मूल शब्द से क्रिया बनती है, उसे 'धातु' कहते हैंखाना, लिखना, बैठना आदि क्रियाएँ खा, लिख, बैठ आदि मूल शब्दों से बनी है. अतः इन्हें धातु कहेंगे


क्रिया के भेद

 

कर्म के अनुसार या रचना की दृष्टि से क्रिया के दो भेद हैं-१. सकर्मक और २. अकर्मक

 

१.सकर्मक क्रिया-

       जिस क्रिया के साथ कर्म रहता है अथवा उसके रहने की संभावना रहती है, उसे 'सकर्मक क्रिया' कहते हैंसकर्मक क्रिया का करनेवाला कर्ता ही होता है, परन्तु उसके कार्य का फल कर्म पर पड़ता है

      राम पुस्तक पढ़ता है'-

              

                                यहाँ 'पढ़ना' क्रिया सकर्मक है, क्योंकि उसका एक कर्म हैपुस्तक पढ़नेवाला 'राम है, परन्तु उसकी क्रिया पढ़ना का फल 'पुस्तक पर पड़ता है

       'यह पीता है-यहाँ 'पीना' क्रिया सकर्मक है, क्योंकि उसके साथ किसी कर्म का प्रयोगरहने पर भी कर्म की संभावना हैपीता है के पहले कर्म के रूप में 'जल' या 'दूध' शब्द रखा जा सकता है


.  अकर्मक क्रिया-


            जिस क्रिया के साथ कर्मरहे अर्थात जिसकी क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़े,     उसे 'अकर्मक क्रिया' कहते हैं

राम हँसता है

इस वाक्य में 'हँसना' क्रिया अकर्मक है, क्योंकि यहाँतो  हँसना का कोई कर्म है औरउसकी सम्भावना ही है 'हैँसना' क्रया का फल भी 'राम पर ही पड़ता है

 

काल के आधार पर क्रिया


(i)भूतकालिक क्रिया- क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय में कोई कार्य पूरा होने का बोध हो

    जैसे- 1. गौतम कल आया। 2. रेलगाड़ी चली गयी

 

(ii) वर्तमानकालिक क्रिया- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में क्रिया का होना प्रकट हो

 

जैसे- 1. गीता मधुर गाती है। 2. अखिल तेजदौड़ता है

 (iii) भविष्यतकालिक क्रिया- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य भविष्य में होगा

जैसे- 1. माता अलवर जायेगी

 

प्रयोग के आधार पर क्रिया

 

सामान्य क्रिया- भाषा में जो क्रिया रूढशब्द के रूप में प्रचलित है

 

जैसे- वह आयाराम गया

 

संयुक्त क्रिया- जो क्रिया पद दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनता है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं

 

जैसे- नरेश ने निबन्ध लिख लिया

प्रेरणार्थक क्रियाएँ- जिस क्रिया का कर्ता कार्य स्वयंकरके, अपनी प्रेरणा से अन्य किसी से करता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं

जैसे- पिताजी ने गर्मी से पत्र लिखवाया

 

 नामधातु क्रिया- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, शब्दों से बनने वाली क्रिया

 

जैसे- हाथ-हथियाना, आप-अपनाना


क्रिया  के अन्य रूप

सहायक क्रिया-संयुक्त क्रिया मे एक प्रधान क्रिया रहती हैऔर दूसरी केवल उसकी सहायता के लिए आती है;

जैसे उसने बाघ मार डालायहाँ मारना प्रधान क्रिया हैऔर "डालना सहायक क्रिया

 

पूर्वकालिक क्रिया-जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया आरम्भ करता है, तो पहली क्रिया को 'पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं;

जैसे—वह खाकर बाजार गयायहाँ 'खाकर' पूर्वकालिक क्रिया है

 द्विकर्मक क्रिया-कभी-कभी किसी क्रिया के दो कर्म रहते हैंऐसी क्रिया को 'द्विकर्मक क्रिया' कहते हैं:

जैसे -बाप बेटे को बिस्कुट खिलाता हैवादक शीला को सितार सिखाता है

 

यहाँ प्रथम वाक्य में 'खिलाना' के दो कर्म है—'बेटे को और 'बिस्कुट दूसरे वाक्य में 'लिखना क्रिया के भी दो कर्म है- 'शीला को और 'सितार इसलिए 'खिलाना' और 'सिखाना' द्विकर्मक क्रियाएँ हैं




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