हिंदी व्याकरण - सर्वनाम
Lecture #4
सर्वनाम
सर्वनाम के कार्य
सर्वनाम के भेद
१. सर्वनाम
परिभाषा-
संज्ञाओं के स्थान पर उनके प्रतिनिधि के रूप में जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें 'सर्वनाम’ कहते हैं।
राम परीक्षा नहीं दे सका क्योंकि वह बीमार हो गया था।
इस वाक्य में 'वह’ का प्रयोग राम के लिए हुआ है, अतः 'वह' शब्द सर्वनाम कहा जायेगा ।
वाक्य में यदि सर्वनामों का प्रयोग न किया जाय तो एक ही संज्ञा का प्रयोग कई बार हो जायगा और वाक्य की सुन्दरता नष्ट हो जायेगी, अर्थात् सर्वनाम संज्ञा को पुनरुक्ति-दोष से बचाता है।
इस प्रकार, हिन्दी में ----
मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन एवं क्या सर्वनाम हैं।
२. सर्वनाम के कार्य
सर्वनाम के निम्रलिखित कार्य हैं-----
जैसे- रमेश एक अच्छा लड़का है। रमेश रोज सुबह उठता है। रमेश रोज स्कूल जाता है।
ऊपर के प्रत्येक वाक्य में रमेश का प्रयोग किया गया है यहाँ रमेश शब्द की बेकार आवृत्ति हुई है। इससे वाक्य भद्दा मालूम पड़ता है।
अन्तिम दो वाक्यों में पुनः 'रमेश' न लिखकर अगर 'वह' (सर्वनाम) लिखा जाय, तो इससे वाक्य की सुन्दरता बढ़ जायगी।
अतः सर्वनाम के प्रयोग से नाम की आवृत्ति नहीं होती और भाषा अधिक स्पष्ट तथा सुन्दर हो जाती है।
सर्वनाम निकट और दूरी का बोध कराता है। 'यह’ से निकटता और ‘वह’ से दूरी का बोध होता है।
सर्वनाम आदर और अनादर का बोध कराता है। आप से आदर का और तू' से अनादर का बोध होता है
सर्वनाम से जिज्ञासा की अभिव्यक्ति होती है। 'कौन', 'क्या' आदि से जिज्ञासा का बोध होता है।
सर्वनाम प्रधान और आश्रित वाक्यों में सम्बन्ध भी जोड़ता है |
जैसे- जो सोता है, सो खोता है।
३. सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के छह भेद हैं-
१. पुरुषवाचक, २. निश्चयवाचक, ३. अनिश्चयवाचक, ४, प्रश्नवाचक, ५. सम्बन्धवाचक और ६. निजवाचक।
१. पुरुषवाचक सर्वनाम-
जिस सर्वनाम से पुरुष अर्थात् बातचीत या लेख के क्रम में बोलने वाले, सुनने वाले या जिसके विषय में कहा जाय उसका ज्ञान हो. उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है;
जैसे- मैंने तुम्हें उसकी पुस्तक दी।
इस वाक्य में 'मैं कहनेवाले के लिए, 'तुम' सुननेवाले के लिए तथा उस जिसकी चर्चा चल रही है उसके लिए आया है।
अतः ये तीनों पुरुषवाचक सर्वनाम कहे जायेंगे।
पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद-पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं
(क) उत्तमपुरुष, (ख) मध्यमपुरुष और (ग) अन्यपुरुष या प्रथमपुरुष ।
(क) उत्तमपुरुष- बातचीत या लेख के क्रम में जो बोलता या लिखता है, उसे 'उत्तम पुरुष' कहते हैं;
जैसे- मैं, हम।
(ख) मध्यम पुरुष- जिसे सम्बोधित कर कहा या लिखा जाता है, उसे मध्यमपुरुष कहते हैं,
जैसे- तू, तुम, आप।
(ग) अन्यपुरुष या प्रथमपुरुष— जिसके विषय में कुछ कहा या लिखा जाता है, उसे 'अन्यपुरुष' या 'प्रथमपुरुष' कहते हैं;
जैसे- वह; वे यह; ये; सो; जो; कुछ; कौन; क्या कोई आदि ।
२. निश्चयवाचक सर्वनाम-
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित पदार्थ का ज्ञान हो, उसे 'निश्चयवाचक सर्वनाम' कहते हैं।
जैसे - वह बहुत अच्छा लड़का है , यह गाय खूब दूध देती है-
इन दोनों वाक्यों में 'वह और 'यह निश्चयवाचक सर्वनाम है।
निश्चयवाचक सर्वनाम के भी दो भेद हैं-
(के) निकटवर्ती पदार्थ का वाचक और (ख) दूरवर्ती पदार्थ का वाचक
(क) निकटवर्ती पदार्थ का वाचक सर्वनाम- यह निकट के पदार्थ का ज्ञान कराता है;
जैसे-यह।
(ख) दूरवर्ती पदार्थ का वाचक सर्वनाम- इससे दूर के पदार्थों का बोध होता है।
जैसे—वह।
३. अनिश्चयवाचक सर्वनाम- जो सर्वनाम किसी निश्चित पदार्थ का ज्ञान न कराये, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- कोई आ रहा है', 'कुछ खा लो-
इन दोनों वाक्यों में कोई' और 'कुछ' दोनों ही अनिश्चित व्यक्ति तथा वस्तु के लिए आये हैं, अतः इन्हें अन्य वाचक सर्वनाम कहेंगे।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम दो है-(१) कोई और (२) कुछ ।
'किसी' 'कोई का ही रूप है ।
कोई और 'कुछ' के प्रयोग में अंतर-
निशयवाचक सर्वनामों में कोई का प्रयोग मनुष्य आदि चेतन के लिए तथा कुछ का प्रयोग जड़ वस्तु या छोटे कीड़ों-जीवों आदि के लिए प्रायः होता है;
जैसे- लगता है, कोई इधर ही आ रहा है।
कुछ लेते आना।
कहते हो कि पानी साफ है, लेकिन इसमें तो कुछ बिलबिला रहा है।
४. प्रश्नवाचक सर्वनाम- जिस सर्वनाम से प्रश्न का बोध हो उसे 'प्रश्नवाचक सर्वनाम' कहते हैं।
'कौन आ रहा है: 'क्या खा रहे हो-
इन वाक्यों में ‘कौन' और 'क्या’ प्रश्न के लिए आए हैं, अतः इन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।
'कौन' और 'क्या ये ही दो प्रश्नवाचक सर्वनाम हैं।
कौन का प्रयोग प्रायः मनुष्यों तथा क्या का प्रयोग पशुओं, कीड़ों और निर्जीव पदार्थों के लिए होता है;
जैसे-'कौन आया है? क्या चीज है ?
किन्तु 'सा’ जोड़कर 'कौन' का प्रयोग सभी के लिए किया जा सकता है;
जैसे 'कौन-सा पौधा ? 'कौन-सी बात ?'
क्या शब्द का प्रयोग नकारात्मक अर्थों में दूसरे ढंग से भी किया जा सकता है।
जैसे—'यह भी क्या आदमी है ? यहाँ 'क्या' शब्द से 'नहीं ‘ का भाव व्यक्त हो रहा है।
सम्बन्धवाचक सर्वनाम- जिस सर्वनाम से किसी संज्ञा का सम्बन्ध सुचित हो, उसे 'सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे -'बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय में 'जो और 'सो' सम्बन्धवाचक सर्वनाम हैं।
'जो’ के प्रयोग के साथ ही 'सो’ का प्रश्न हमारे दिमाग में आता है। इन दोनों का सम्बन्ध नित्य है,
अतः इन्हें 'नित्य-सम्बन्धी सर्वनाम भी कहते हैं।
जैसे -जिसकी लाठी, उसकी भैंस' में भी 'जिस' और 'उस' सम्बन्धवाचक (नित्य-सम्बन्धी) हैं।
६. निजवाचक सर्वनाम- जो सर्वनाम निज या अपने-आपका बोध कराये, उसे 'निजवाचक सर्वनाम' कहेंगे,
जैसे- मैं यह काम आप कर लूंगा। यहाँ 'आप' निजवाचक सर्वनाम है।
Very nice Explanation
ReplyDeleteThanks for such videos
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ReplyDeleteNice
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