हिंदी व्याकरण अध्याय 8- सन्धि

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Lecture #8


सन्धि

सन्धि के भेद


हिंदी व्याकरण


     अध्याय 8

सन्धि


 

परिभाषा- 


                  दो अक्षरों के आपस में मिलने से उनके आकार और ध्वनि में 


जब विकार पैदा होता है, उसे     सन्धि कहते हैं


संधि और संयोग में अंतर हैस्वरों से रहित व्यंजन आपस में मिलें, तो 


वह संयोग कहलाता है दूध शब्द में चार वर्ण हैं द, ऊ, धु, अ। इन चारों 


का संयोग होने पर 'दूध' शब्द बना हैयहाँ इन वर्णों के संयोग से इनमें 


कोई अन्तर नहीं आया है


सन्धि में अक्षर बदल जाते हैं, उनके उच्चारण में अन्तर पडजाता है। 


जगत्' और 'नाथ' शब्द की संधि करने पर जगन्नाथ' शब्द बनता हैयहाँ


1. 'जगत्' शब्द के 'त्' का सन्धि के कारण 'न्' हो गया हैजिन अक्षरों के


बीच सन्धि हुई हो, उन्हें सन्धि के पहले के रूप में अलग-अलग करके 


रखना सन्धि-विच्छेद कहलाता है; जैसे, 'जगन्नाथ' का सन्धि-विच्छेद


'जगत्-नाथ' होगा और 'रमेश' का 'रमा ईश'। जिन अक्षरों की

 

सन्धि की जाती है उनके बीच '+' चिह्न देने की परिपाटी है




सन्धि के भेद

सन्धि तीन प्रकार की होती है

(क) स्वर-सन्धि, (ख) व्यंजन-संधि और (ग) विसर्ग संधि ।)

 

(क) स्वर-सन्धि

 

दो स्वरों के पासपास आने से जो सन्धि या वर्ण-परिवर्तन होता है, उसे स्वर-सन्धि' कहते हैं;

जैसे—रमा+ईश-रमेश

 यहाँ 'रमा' शब्द का 'आ' तथा इश' शब्द का 'ई' दोनों पासपास हैं, अतः इनकी सन्धि हो जाती है और 'आ' एवं 'ई' मिलकर 'ए' हो जाता है। 'आ' और 'ई' का मिलकर 'ए' होना ही यहाँ सन्धि है

 

स्वर-सन्धि के पाँच भेद हैं-

दीर्घ-सन्धि, २. गुण-सन्धि, ३.वृद्धि-सधि, यण्-सन्धि और ५. अयादि-सन्धि

 १.दीर्घ-सन्धि-


                        हस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ क्रमशः अ, इ, उ हों तो दोनों के स्थान पर एक सवर्ण दीर्घ वर्ण होना 'दीर्घ-सन्धि कहलाती है |

जैसे-

ज्ञान + अभाव = ज्ञानाभाव

 

धर्मात्मा = धर्मात्मा

 

तथा + अपि = तथापि

 

विद्या+ आलय = विद्यालय

रवि + इन्द्र =रवीन्द्र

 

गिरि +ईश = गिरीश

 

मही + इन्द्र = महीन्द्र

 

मही+ ईश्वर = महीश्वर

2. गुण-सन्धि

                  

                       अकार के आकार के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ इ, उ यारहे तो अ.इ-ए, अ-उ-ओ और अ+ऋ-अर् होता हैइसी को "गुण-सन्धि कहते हैं,

जैसे-

 

देव+ इन्द्र =देवेन्द्र

 

महा+ इन्द्र = महेन्द्र

 

रमा + ईश = रमेश

 

वीर + उचित = वीरोचित

 

नव+ऊढ़ा = नवोढ़ा


३. वृद्धि-सन्धि-

                     जबयाके बादअथवारहे, तब दोनोंऔर जबवाके बादयारहे, तब दोनों काहोता हैयही वृद्धि-सन्धि' है;

 जैसे

एक + एकशः = एकैकशः

 

सदा + एव = सदैव

 

जल + ओघ = जलौघ

 

महा + औदार्य = महौदार्य


४. यण्-सन्धि-

                     ह्रस्व या दीर्घ इकार, उकार या ऋकार के बाद यदि असवर्ण अर्थात् इ, उ, ऋ को छोड़कर अन्य कोई स्वर आये, तो इकार का यू उकार का तथा ऋकार का होता हैइसे ही 'यण-सन्धि' कहते हैं

जैसे-

यदि + अपि = यद्यपि

 

इति + आदि = इत्यादि

 

प्रति + उपकार = प्रत्युपकार

 

नि+ऊन = न्यून

 

प्रति + एक = प्रत्येक

 

अनु + अय = अन्वय

 

अनु + एषण = अन्वेषण

 

पितृ + आदेश - पित्रादेश

५. अयादि-सन्धि-

                         ए, ओ, ऐ तथाके बाद यदि स्वर हो, तो का अयका अव, ऐ का आय

 तथा का आव् होता है यह अयादि-सन्धि' है;

जैसे-

ने + अन= नयन

 

नै + अक = नायक

 

पो + इत्र = पवित्र

 

पौ+ अक = पावक


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